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पाइप लाइन बिछाने में गड़बड़ी मिली, पर नहीं हुई कार्रवाई… इसलिए 33 करोड़ के काम में जारी है ठेकेदार की मनमानी Featured

खैरागढ़. हालही में नया बस स्टैंड के पास मेन रोड किनारे पाइप लाइन डालते समय भी रेत-मुरुम नहीं डाली गई। खैरागढ़. हालही में नया बस स्टैंड के पास मेन रोड किनारे पाइप लाइन डालते समय भी रेत-मुरुम नहीं डाली गई।

खैरागढ़ में चल रहे जल आवर्धन के काम को लेकर पांच महीने पहले पांच सदस्यीय जांच टीम ने सौंपा था प्रतिवेदन, खामियां गिनाने के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई।

खैरागढ़. पाइप लाइन बिछाते समय अभी भी रेत-मुरुम का इस्तेमाल नहीं हो रहा। गड्‌ढा खोदकर निकाली गई मिट्‌टी को ही पाइप बिछाने के बाद उस डाल रहे हैं। नगर सरकार का कार्यकाल समाप्त होते ही काम की गति और तेज हो गई है। जांच में गड़बड़ी मिलने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से ठेकेदार ने रात के अंधेरे में भी काम करना शुरू कर दिया है।

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जल आवर्धन के काम को लेकर मंगलवार को आम आदमी पार्टी ने भी आवाज उठाई। पार्टी के सदस्यों ने सब इंजीनियर दीपाली तंबोली को ज्ञापन सौंपकर बताया कि रोड की खुदाई के बाद उसका समतलीकरण नहीं किया जा रहा है। इससे आम लोगों को असुविधा हो रही है, लेकिन आप के नेताओं को यह भी जानना जरूरी है कि पांच महीने पहले 33 करोड़ के इस प्रोजेक्ट को लेकर भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने आवाज उठाई थी। इसमें यही बात सामने आई थी कि पाइप लाइन बिछाने के बाद रेत-मुरुम की भराई नहीं की जा रही, लेकिन ठेकेदार को इसका भुगतान किया जा रहा है। नेताओं ने यहां तक कहा कि पूरी योजना भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ चुकी है। विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी आवाज उठाई। इसके बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा।

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पांच सदस्यीय टीम ने खामियां गिनाई, टिप्पणी नहीं की

जल आवर्धन में भ्रष्टाचार पर आवाज उठी तो एसडीएम के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया, टीम ने शिकायत के आधार पर अमलीपारा, सिविल लाइन और टिकरापारा में खुदाई करवाकर देखा। दस्तावेजों मंे भी खामियां पाईं, लेकिन टिप्पणी से बचे। बिंदुवार समझिए कैसी खामियां मिलीं, अफसरों ने क्या लिखा:-

सिविल लाइन में नहीं मिला मुरुम: अमलीपारा व टिकरापारा में पाइप के नीचे 3 इंच की मुरुम पट्‌टी दिखाई दी, सिविल लाइन में मुरुम नहीं मिला। माप पुस्तिका क्रमांक 2020 में कहीं पर भी इस कार्य में लाई गई सामग्रियों का कंजप्शन रिपोर्ट नहीं है। यानी कंजप्शन रिपोर्ट का संधारण नहीं किया गया।

यह नहीं बताया: कितनी मुरुम डलनी थी? या जहां मुरुम नहीं डाला है, उसके एवज में ठेकेदार को कितना भुगतान हो चुका है? इसका जिम्मेदार कौन है और उस पर क्या कार्रवाई की गई?

जोन की चतुरसीमा का उल्लेख नहीं: खैरागढ़ जल आवर्धन के काम को 10 जोन में बांटा गया है, लेकिन डीपीआर, माप पुस्तिका और अन्य दस्तावेजों से पता ही नहीं चलता कि कौन सा वार्ड किस जोन में है। दस्तावेजों में जोन की चतुरसीमा को उल्लेख ही नहीं है।

यह नहीं बताया: जोन में चतुरसीमा उल्लेख नहीं करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं, ऐसा नहीं करने के लिए जिम्मेदार कौन है और उस पर क्या कार्रवाई की जाए?

सामग्री का संकलन नहीं: ठेकेदार मनकाफिक तरीके से काम कर रहा है। पाइप लाइन विस्तार के काम में खुदाई के बाद उपयोगी/अनुपयोगी सामग्री का संकलन स्थल पर नहीं किया गया है। खुदाई के काम में लापरवाही बरती जा रही है। गड्‌ढों की भराई एवं समतलीकरण का काम भी रिति-निधि से नहीं किया जा रहा है।

यह नहीं बताया: खोदे गए गड्‌ढों व उबड़ खाबड़ रास्तों से हो रही असुविधा या हादसों को लेकर क्या कार्रवाई की गई या करनी चाहिए।

विधायक की भूमि खोद डाली: शुद्ध जल शोधन संयंत्र के लिए गंजीपारा में खसरा नंबर 330 रकबा 1.413 प्रस्तावित था, लेकिन इस प्लाट से लगे 132/1 और 133/1 पर भी कराया गया, जबकि नजूल अभिलेख में यह विधायक देवव्रत सिंह और उनके पिता रविंद्र बहादुर सिंह के नाम दर्ज है। निजी भूमि की खुदाई कराने से परिषद को लाखों की क्षति हो सकती है।

यह नहीं बताया: खसरा नंबर चिन्हांकित किए जाने के बावजूद निजी भूमि पर बिना इजाजत काम करने वाला अफसर कौन है और उसके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

नियम विपरीत हुई डिस्मेंटलिंग: जांच टीम ने यह भी पाया कि रनिंग बिल के आइटम नंबर 19 में डिस्टेंटलिंग ऑफ ओल्ड एक्जाइटिंग स्ट्रक्चर के नाम पर 4 लाख 19 हजार रुपए का भुगतान ठेकेदार को किया गया, जबकि डिस्मेंटलिंग कार्य निजी भूमि पर स्थित पुराने भवन का किया गया, जो नियम विपरीत है। इसके लिए देवव्रत सिंह के प्रतिनिध अशोक सिंह ने पत्र के माध्यम से 20 से 21 लाख मुआवजे की मांग की है।

यह नहीं बताया: अगर तय खसरा नंबर पर काम नहीं कराया गया, तो इसके खिलाफ जिम्मेदार पर क्या कार्रवाई की जाएगी और 20 से 21 लाख का नुकसान कौन वहन करेगा?

श्रीराम धुन में भाजपा, भूमिपूजन में व्यस्त कांग्रेस

शहर में पेयजल को लेकर चल रहा प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। अफसर कार्रवाई नहीं कर रहे और दोनों प्रमुख पार्टियां खामोशी से सबकुछ देख रही हैं। फिलहाल भाजपाई रोज सुबह प्रभातफेरी निकालकर वार्डों में दस्तक दे रहे हैं, जिसमें पुराने पार्षद हैं और टिकट के आकांक्षी भी। वहीं कांग्रेस ने विभिन्न वार्डों में भूमिपूजन सिलसिला शुरू कर दिया है। लोगों के बीच इसे लेकर खासी चर्चा है। लोग कह रहे हैं कि पांच साल का बचा हुआ काम अगले एक महीने मंे पूरा होने वाला है।

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Last modified on Wednesday, 24 February 2021 11:48

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