खैरागढ़ के माधव मेमोरियल हॉस्पिटल की जांच में खुली पोल, दरवाजे पर लिखा MBBS डॉक्टर का नाम, लेकिन कैबिन में बैठकर प्रैक्टिस करते रहे DHMS डॉक्टर।
अनियमितता पाए जाने के बाद सील किए गए माधव मेमोरियल हॉस्पिटल की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। बताया गया कि खैरागढ़ में अस्पताल चलाने के लिए उन्होंने बलौदा-बाजार निवासी एमबीबीएस डॉक्टर के नाम का इस्तेमाल किया, जो फिलहाल रायगढ़ में निवासरत हैं। जांच में पहुंची टीम के सामने डॉ. दुग्धेश्वर साहू ने डॉ. आशुतोष भारती को ही हॉस्पिटल का डायरेक्टर बताया, लेकिन डॉ. भारती ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
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इधर हॉस्पिटल में रिसेप्शन के ठीक पीछे बने कैबिन के दरवाजे पर डॉ. आशुतोष भारती का नाम और उनकी डिग्री (MBBS) लिखी हुई है। हालांकि हॉस्पिटल स्टॉफ ने इस नाम के शख्स को पहले कभी नहीं देखा। खुद रिसेप्शनिस्ट ने यह जानकारी दी। जबकि हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू और आरएमए डॉ. शैलेश इसी कैबिन में बैठकर मरीजों का इलाज किया करते हैं।
इसी के चलते मरीजों काे दी जाने वाली पर्ची में डॉक्टर के नाम का उल्लेख नहीं किया जाता और न ही उसमें संंबंधित डॉक्टर के हस्ताक्षर होते थे। दवाखाना भी हॉस्पिटल के भीतर ही था, इसलिए कभी बात बाहर नहीं गई और सारा काम गोपनीय तरीके से चलता रहा।
…तो क्या किराए पर ले रखी थी एमबीबीएस की डिग्री
पूछताछ में पता चला है कि डॉ. आशुतोष भारती को हॉस्पिटल स्टाॅफ ने कभी नहीं देखा। केवल कैबिन के सामने लिखा उनका नाम पढ़ते। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पीएस परिहार से बातचीत के दौरान डॉ. भारती ने कहा कि वे हॉस्पिटल में बतौर एंप्लॉई काम करते थे और महीने में एकाध बार ही आते थे। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि खैरागढ़ में हॉस्पिटल चलाने के लिए केवल उनकी डिग्री का इस्तेमाल हुआ और इसके एवज में उनको मोटी रकम दी जाती रही होगी।
जानिए हॉस्पिटल को लेकर क्या कह रहे हैं डॉ. आशुतोष भारती
सवाल: क्या खैरागढ़ में संचालित माधव मेमोरियल हॉस्पिटल आपका है?
जवाब: नहीं, मेरा नहीं है। वहां विजिटिंग डॉक्टर के रूप में काम करने के लिए मेरी बात हुई थी। मेरी गाड़ी सर्विसिंग में होने की वजह से मैं दो-तीन महीने से वहां जा ही नहीं पाया हूं।
सवाल: क्या आपको यहां चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी है?
जवाब: मेरे अबसेंस में वहां क्या हो रहा है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। मुझे केवल इतना पता था कि वहां सर्दी, खांसी, बुखार का ही इलाज होता था। वहां ऑपरेशन हो रहा है, बीटी लग रहा है, इससे मैं बिल्कुल अनभिज्ञ हूं।
सवाल: एलोपैथी की प्रैक्टिस तो आपके ही नाम से चल रही थी?
जवाब: सर्टिफिकेट केवल विजिटिंग डॉक्टर के रूप में काम के लिए दिया था। मैंने कहा था कि नर्सिंग होम एक्ट में हॉस्पिटल का रजिस्ट्रेशन होने के बाद ही मैं रेग्यूलर बैठूंगा। इसके बिना ही अगर ऑपरेशन कर रहे हैं, सर्जन बुला रहे हैं, तो ये जानकारी मुझे नहीं है।
मेडिकल डायरेक्टर हैं डॉ. भारती
संचालक डॉ. दुग्धेश्वर साहू का कहना है कि डॉ. भारती ही हॉस्पिटल मेडिकल डायरेक्टर हैं। सप्ताह में दो-चार दिन बैठते थे और ओपीडी देखते थे। जब उन्हें डॉ. भारती का जवाब बताया गया तो वे बोले कि वे कल उन्हें यहां बुलवाएंगे, फिर बात करेंगे।
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