स्वयंसेवियों ने खुद के पैसे लगाकर बड़े किये पौधे
खैरागढ़/छुईखदान. जनता के पैसे को ओहदेदार अधिकारी कैसे चपत लगाते हैं,इसकी यदि बानगी देखनी है,तो बकरकट्टा के बहुचर्चित बैताल रानी घाटी आइए। रानी रश्मि देवी जलाशय पार करते ही सड़क के दोनों ओर तिकोने टूटे - फूटे,गिरे पड़े पौध संरक्षण के लिए लगाई गई बांस की ढोलियों को गाड़ी रोककर झांककर देखेंगें तो वन मंडल खैरागढ़ की कारगुजारियों से पर्दा उठ जाएगा। इन पूरे मार्ग में लगी ढोलियों में ज्यादातर में पौधे हैं,ही नहीँ और जिनमें हैं वो बढ़ नहीं पाएं। जबकि इन पौधों के रोपण के लिए वन विभाग ने करोड़ों रुपए खर्च किये हैं। इसके बावजूद इन पौधों का में से अब गिनती के पौधे ही बचे हैं। जबकि पौधों के रोपण से पहले पौधों के तैयार करने से लेकर उनके रोपण और उसके बाद उसके संरक्षण में ही करोड़ों रुपए खर्च करती है। विभाग ने इस पूरे मार्ग में अर्जुन के पौधे लगाए थे। जो पहले से ही 7 से 8 फ़ीट के थे। इसके बावजूद विभागीय अनदेखी की वजह से अब ज्यादतर पौधों का जीवन समाप्त हो चुका है।
गंडई - कवर्धा मार्ग में भी यही हाल
वन मंडल की कारगुजारियों का ये आलम सिर्फ़ बकरकट्टा मार्ग का नहीं है। गंडई - कवर्धा मार्ग में भी खैरागढ़ वन मंडल ने इसी तरह की ढोलियों में रोपण किया था। पर सुरक्षा को लेकर की गई अनदेखी की वजह से पौधे मर रहे हैं। दुर्भाग्यजनक है कि इस मार्ग में भी पौधारोपण में भी लाखों रुपये खर्च किये गए थे।
न खाद,न संरक्षण, लगाकर भूल जाता है विभाग
दरअसल,पौधों की इस दुर्दशा के पीछे सबसे बड़ा कारण विभाग के अधिकारियों का गैर ज़िम्मेदाराना रवैया है। शासन प्रत्येक पौधे के संरक्षण के पीछे बकायदा पैसे आबंटित करता है,पर विभागीय अधिकारियों के भ्रष्ट रवैये के चलते वो पैसा इन पौधों तक नहीं पहुँच पाता है।
स्वयं सेवियों संस्थाओं ने पौधे लगाकर उन्हें बड़ा कर भी दिखाया
00 खैरागढ़ में निर्मल त्रिवेणी महाअभियान और छुईखदान में जय जगन्नाथ सेवा समिति ने न केवल पौधे लगाए बल्कि उनका संरक्षण किया।
00 5 से 7 फ़ीट के पौधों की हाइट सतत संरक्षण की वजह से 12 से 14 फ़ीट तक हो चुकी है।
00 समितियों ने पौधा लगाने से लेकर पौधों के संरक्षण का खर्च स्वयं वहन किया।
00 गर्मी के दिनों में जल सिंचन से लेकर खाद दिए जाने की व्यवस्था भी खुद की।
अधिकारी नहीं देते ध्यान
00 गर्मी के दिनों में जलसिंचन की कोई व्यवस्था नहीं की जाती।
00 खाद और अन्य पैसों पर भ्रष्टाचार की छाया पड़ जाती है।
00 ढोलियों को एक बार लगाने के बाद उसके मेंटनस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
क्या कहते हैं अधिकारी
- छुईखदान वन परिक्षेत्र के रेंजर दिलीप बंजारी ने बताया कि उक्त क्षेत्र गंडई वन परिक्षेत्र में आता है। इसलिए वही बता पाएंगें।
- सवाल पूरा होने के बाद गंडई वन परिक्षेत्र अधिकारी अशोक गड़पायेले ने बताया कि अभी बात नहीं कर पाऊंगा साहब के साथ हूँ।