दिल्ली के बार्डर पर जारी किसान आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी। इसके अलावा बातचीत के लिए चार सदस्यीय समिति भी बना दी और कहा कि दुनिया की कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती।
सुप्रीम कोर्ट के रोक का कोई फायदा नहीं है क्योंकि यह सरकार का एक तरीका है कि हमारा आंदोलन बंद हो जाए। यह सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है यह सरकार का काम था, संसद का काम था और संसद इसे वापस ले। जब तक संसद में ये वापस नहीं होंगे हमारा संघर्ष जारी रहेगा: सिंघु बॉर्डर से एक किसान https://t.co/lc1Nf5aQWX pic.twitter.com/7mUbuVYfWu
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 12, 2021
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सरकार को फटकारा था। कहा था कि सरकार इस पूरे मसले को संभालने में नाकाम रही है। किसानों के साथ बातचीत करने के तरीके से वह बहुत ज्यादा निराश है। हालांकि दिल्ली की सीमाओं में गतिरोध 48वें दिन भी बरकरार है। किसान सरकार से मांगें मानने की अपील कर रहे हैं।
किसान कह रहे हैं कि उनकी मांग कानून वापस लेने की थी, स्टे लगाने की नहीं। सिंघु बॉर्डर पर डटे एक किसान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई इस रोक से उन्हें कोई फायदा नहीं। यह एक तरीका है आंदोलन बंद कराने का। यह काम तो सरकार और संसद को करना चाहिए कि वह इसे वापस ले। जब तक यह वापस नहीं होगा, संघर्ष चलता रहेगा।
जानिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ये तीन कानून - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।